Sunday, 19 June 2016

कविता ७५२. जीवन कि चाहत

                                               जीवन कि चाहत
जीवन मे क्या हम चाहते है उस से ही तो हमारी किस्मत बन पाती है जीवन को वह हर बार अलग एहसास देकर हर पल चली जाती है
जीवन को हर बार अलग साँस देकर आगे बढती जाती है जीवन मे हम क्या माँगते है उसके साथ हमारी खुशियाँ और गमों कि सौगाद होती है
जीवन मे सही चीज कि ख्वाईश अक्सर अहम होती है जो जीवन को कई मतलब देकर आगे चलती जाती है नजर बदल जाती है
चाहत अगर प्यारी चीजों से हो तो ही दुनिया खुशियाँ हर कदम देती है पर मन से प्यारी चीजे ही तो दुनिया कि सही सौगाद होती है
सही चीजों को परखकर ही अगर चाहत हो तो ही हमारी किस्मत बन पाती है जो मन कि सुंदरता हर बार जीवन को छूँ जाती है
जीवन के हर कदम पर अलग सौगाद मिलती है जिसमे सही राह होती है वही जीवन कि सही सौगाद बन जाती है दिशाए सही देकर आगे जाते है
जीवन मे सही चाहत हर पल और हर बार रोशनी देकर जाती है पर हर सही सोच से हो यही जीवन कि नई किरण हर पल होती है
जीवन को परख लेना ही तो हमारी किस्मत होती है जो हमे समज देकर जाती है रोशनी चमक मे नही सच्ची सोच मे होती है
जो समझ ले इस बात को उसकी दुनिया ही खुश किस्मत होती है जो बनती बिघडती जाती है क्योंकि सही चाहत ही तो जीवन कि पेहचान होती है
चाहत को सही दिशाए मिले यही जीवन कि जरुरत होती है सिक्कों से ज्यादा जरुरी होठों कि मुस्कान होती है वही साँसे देकर आगे बढती जाती है

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