Saturday 18 June 2016

कविता ७५०. बात कि समझ

                                             बात कि समझ
बात को समझकर दुनिया बदल जाती है पर बातों को पेहचान लेने कि चाहत लोगों मे कम ही नजर आती है जीवन को बदलती है
बात कि कहानी जो जीवन को बदलकर रख देता है उसे परख लेना जीवन को समझ दे जाता है जिसे समझकर जीवन को मकसद मिलता रहता है
बात मे ही तो जीवन को समझकर आगे जाने कि जरुरत हर बार होती है बात से ही दुनिया आगे बढती रहती है आगे चलती है
बात ही तो जीवन को साँसे देकर चलती है जिन्हे समझकर आगे बढने कि किस्मत बनती है जिस पल को समझ लेने कि जीवन को जरुरत होती है
बात हर पल रंग देकर जीवन को हर बार बदलती जाती है दिशाए देकर आगे बढती चली जाती है जीवन के रंगों को समझकर आगे चलती रहती है
बात मे कई अल्फाज लिखे होते है जिन्हे समझकर आगे जाने कि जरुरत जीवन मे हर बार होती है जो जीवन का मकसद बन जाती है
बात ही तो जीवन का मतलब बन जाती है जीवन मे दिशाए देकर आगे बढती चली जाती है जीवन को साँसे देकर आगे चलती जाती है
बात मे ही तो जीवन कि धारा काम करती रहती है जो दुनिया को बताती है दुनिया कि कहानी हर बार अलग अलग एहसास देकर जाती है
बात को समझ लेने कि जीवन को जरुरत हर मोड पर होती है बात मे ही जीवन कि सच्चाई और साँसे हर हाल मे देकर आगे बढती जाती है
बात ही तो जीवन कि जरुरत हर मौके पर होती है जो हमे समझकर आगे हर बार जाती है जीवन को वही तो साँस देकर आगे बढती जाती है
जीवन कि हर बात जीवन कि नई सोच होती है जिसे समझकर दुनिया को एक एहसास अलग देकर आगे चलना चाहती है
पर जब तक वह बात जीत नही सकती तब तक जीवन मे वह अलग एहसास देकर आगे चलती जाती है जीवन मे मुश्किल का एहसास भी लाती है
पर इस खास बात के लिए उन एहसास को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है जो दुनिया भर कि खुशियाँ देकर आगे चलती है

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