Monday, 20 June 2016

कविता ७५४. मन कि साँसे

                                                                मन कि साँसे
जब जब साँसों से मन कि कोई आवाज निकलती है चुपके से वह जीवन का अंदाज बदलती है लब्जो मे अल्फाज बदल देती है
साँसों से जुड जाने से जीवन कि आवाज बदल जाती है जो हमे खयालोमे अलग नजर आती है साँसे जीवन में अलग एहसास देती है
जीवन के अंदर अलग सोच जीवन मे अलग एहसास दिख जाते है जीवन मे साँसे कई तरह कि सोच से हमे आगे लेकर बढती चली जाती है
साँसे जीवन को अलग सोच देकर आगे चलती रहती है साँसे तो जीवन को अलग एहसास देना चाहती है जीवन में कोई अलग सोच आती है
जीवन में ही तो अलग सोच जिसे सच्चा बनाकर जाती है जीवन कि हर धारा को मतलब देकर आगे बढना चाहती है जीवन में सोच तो अक्सर होती है
जीवन मे हर कदम पर जीवन में अलग साँस जिन्दा होती है जो हमे समझा लेती है जीवन मे नई ताकद जो हमे आगे लेकर चलती जाती है
मन मे जो आवाज जिन्दा होती है उसे परखकर जीवन में आगे चलने कि जरूरत हर पल हर बार होती है जो जीवन को अच्छा एहसास देती है
किसी आवाज में ही सीने कि धडकन हर बार होती है जो जीवन कि  हर साँस में बस वही एहसास रखती है जो हमारे दुनिया को हर बार बदलती है
साँसे ही तो जीवन कि ताकद होती है जो जीवन को अलग ही एहसास देती है जो जीवन को नई साँसे देकर हर जीवन को अलग एहसास दे जाती है
साँसे तो हर पल जीवन को नई सोच होती है जो जीवन को अलग तरह कि सोच हमे जीवन में आगे लेकर जाती है जीवन में खुशियाँ दे जाती है 

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