Wednesday 15 June 2016

कविता ७४४. कोमलता और काटे

                                             कोमलता और काटे
फूलों के कोमलता पर जीवन को एहसास अलग से मिलता रहता है तो फिर क्यूँ फूल के जगह काटों पर जीवन अटकता रहता है
जब हम अच्छेसे जीवन के पल को समझ लेते है तो जीवन का एहसास जुदासा होता है जिसकी खुशियों पर जीवन झूमता रहता है
उन फूलों को परख लेना एक अहम एहसास कि तरह लगता है कभी सही सोच से ही जीवन कि कहानी हर पल बनती जाती है
फूलों कि कोमलता तो काटों से ज्यादा प्यारी होती है उसके एहसास को परख लेने से ज्यादा जाने क्यूँ दूसरी चीजों मे अहमियत लगती है
काटों से कोमलता को याद रखने कि जीवन मे जरुरत होती है पर कोमलता मन से अक्सर भुला दियी जाती है अनजाने मे मन मे काटों कि मेहफिल ही रहती है
जीवन मे हम समझ लेते है दुनिया तो रंग बदलती रहती है जिसे परखकर आगे चलने कि जीवन को जरुरत लगती है
फूल तो अक्सर कोमल रहते है जीवन मे तरह तरह के रंगों से जीने कि उम्मीद मिलती है जो जीवन कि धारा को हर पल आगे लेकर चलती है
जीवन को समझ लेना कई किस्सों कि कहानी दिखती है जीवन को समझकर आगे जाने मे ही उम्मीदों कि जरुरत पडती है
जीवन मे कई किस्सों कि दिलचस्प कहानी बनती है मन अगर फूलों को हर पल चाहे तो जीवन कि कहानी हर पल बनती है
कोमलता मन को इतना चाहती है कि उस कोमलता से ही तो मन कि कहानी बनती है जीवन कि सबसे प्यारी निशानी बनती है

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