Saturday 11 June 2016

कविता ७३६. बजह कि अहमियत

                                              बजह कि अहमियत
कभी बजह अलग होती है और अहम हर बार होती है बजह हर पल अलग किसम का मतलब जीवन को हर बार देकर जाती है
क्योंकि बजह ही तो जीवन को अलग पेहचान होती है जो जीवन को समझकर आगे चलती है बजह ही तो जीवन कि जरुरत होती है
बजह ही तो जीवन कि साँस होती है जो जीवन कि कहानी बदलकर हर बार चलती रहती है जीवन को साँसे देकर आगे बढती है
बजह ही तो जीवन को कई बहाने देकर चलती है जिसे समझ लेना ही जीवन कि सच्ची ताकद होती है जो हमे बदलकर जाती है
क्योंकि बिना बजह कोई कहानी नही बनती है बस कभी कभी बजह कोई और होता है और सजा किसी और को मिल जाती है
पर बात तो यह सच्ची है कि बिना बजह जीवन कि कोई कहानी नही बन पाती है वह जीवन कि दिशाए बदलकर आगे नही जाती है
बजह से ऊपर कोई बात होती ही क्योंकि बजहों मे ही तो जीवन के कई एहसास छुपे रहते है जो हमे आगे लेकर चलते है
हर खयाल को परख लेने से ज्यादा बजह को समझ लेने कि जरुरत होती है पर हर बजह को परख लेने कि जरुरत हर पल होती ही है
जीवन को समझ लेने के लिये इस बात को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है जो बजह बनती है कई बार गलती हमारी नही होती है
जीवन मे बजह ही जीवन कि सच्ची जरुरत होती है पर उसके लिए यह जरुरी नही हम गलत है कई बार बिना गलती के ही बजह को समझ लेने कि जीवन मे जरुरत है

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