Friday, 10 June 2016

कविता ७३५. किरण को समझना

                                            किरण को समझना
किसी किरण को समझकर जीवन कि गाडी को आगे ले जाने कि जरुरत हर पल होती है जो जीवन कि धारा को हर बार बदलती है
पर हर बारी कहाँ हम रख पाते है उस किरण को जिसमे रोशनी का एहसास हर बार होता है जो एहसास देता है
हर पल रोशनी कि चाहत तो मन मे रहती है पर उसकी आहट से ही दुनिया बदलती है पर उस रोशनी को अलग एहसास मिलता है
किरणों को परखकर जीवन आगे बढता है उनमे ही तो वह जीवन कि पेहचान रख देता है जीवन मे ताकद का एहसास देता है
किरणों कि रोशनी हर बार जीवन मे साथ नही देती है क्योंकि कभी कभी खुदसे लढने कि जरुरत जीवन मे हर पल होती है
जीवन कि रोशनी हर पल नई उम्मीदे देकर आगे चलती रहती है जिसे समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर पल रहती है
जीवन के रोशनी से पेहचान जीवन मे कभी कभी मिलती है जिन्हे परख लेने कि जरुरत जीवन को हर बार होती है जो अलग एहसास देती है
किरणों को परखकर आगे जीवन मे आगे बढने कि जरुरत हर मोड पर हर बार होती है जो हर पल दुनिया मे रोशनी देकर आगे बढती है
जीवन को समझकर आगे चलने कि जरुरत हर बार जीवन मे रोशनी देकर चलती है उसकी जरुरत हमे हर बार होती है
रोशनी कि नई शुरुआत जीवन मे अलग तरह का एहसास देकर आगे बढती है जिसे समझ लेने कि जरुरत जीवन मे हर बार होती है

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