Wednesday 15 June 2016

कविता ७४५. दिल को समझ लेना

                                             दिल को समझ लेना
किसी पल को तो दिल सच बोल दो मन का हम कहते रहते है दिल को पर दिल कहता है जाने क्या अंजाम हो अपना
सच कहने से वह डरता है जीवन के अंजाम से हर बार कुछ कतराता रहता है जीवन को अलग मोड से समझ लेते है
दिल मे छुपी बातों को कई किस्सों मे समझकर आगे बढते रहते है उन्हे समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर बार होती है
दिल कि ताकद को समझकर आगे बढते रहने कि अहमियत जीवन को हर पल को होती है जो हमे आगे लेकर चलती रहती है
दिल के अंदर जीवन के कई कोनों मे अलग सोच दिखती है जो जीवन कि राहों को बदलकर आगे बढना सीखाती रहती है
हमे हर पल जीवन के बदलाव को समझ लेने कि जरुरत होती है दिल के अंदर कई खयालों मे दुनिया हमारा रंग बदलती है
दिल को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है उस जरुरत मे ही तो दुनिया जिन्दा हर पल मे होती है जो दिल को बदलाव देती है
दिल को परख लेने कि जरुरत हर मोड पर काश ना होती काश साँसे अपनी सच्चाई खुदसे ही जीवन मे हर बार कह देती पर जीवन कि बाते इतनी आसान नही होती है
दिल को समझकर आगे बढते रहने कि आदत हमे हर मोड पर होती है जो जीवन कि कहानी बदलकर हर पल चलती है
पर दिल को डर के अपनी बात छुपा देने कि आदत बुरी होती है जो हमारी किस्मत बदलकर आगे बढती जाती है 

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