Tuesday 21 June 2016

कविता ७५६. बात का आगे बढना

                                                       बात का आगे बढना
कोई बात जो मन को छूँ जाये उसमे एक हकिकत रहती है जो बार बार जीवन को साँसे देकर आगे बढती चली जाती है
बात को मकसद देकर तो जिन्दगी हर बार जीवन को आगे लेकर चलती है पर जो बात मन को छूँ जाये वही अहम लगती रहती है
बात को मकसद देती है वह सोच जरुरी होती है जो जीवन कि हर धारा को साँसे अलगसी देती है जीवन कि पुकार बदलकर रख देती है
बात जिसके अंदर दुनिया कई किसम के जस्बात समझ न पाती है बात जो जीवन को  हर पल हर कदम मतलब देकर जाती है
बात जो दिल को नया एहसास और मकसद देती है वह सही लगती है क्योंकि वह हर बार जीवन को छूँ लेती है जीवन कि रोशनी देती है
जीवन मे हम बातों को हर पल समझ लेते है उन बातों के सहारे ही तो हमारी दुनिया और हमारी खुशियाँ अक्सर बनती है जीवन मे रोशनी आ जाती है
बात के अंदर हर घडी रोशनी हर पल आती रहती है जिसमे जीवन कि अलग सोच तो हमेशा जीवन मे हर पल एहसास देकर जाती है
बात को समझकर आगे बढती रहती है जो जीवन के अंदर नया उजाला देकर आगे जाती रहती है जिनमे एहसास देकर आगे बढती रहती है
बात मे जीवन कि समझ हर मोड पर एहसास देकर जीवन को बदलकर रख देती है जो जीवन को समझकर आगे जाती है जो नये एहसास दिलाती है
जो बात मन को समझकर आगे लेकर जाती है वह बात मायने रखती है जिसे समझकर आगे जाने कि जरुरत होती है बाते जीवन को आगे लेकर बढती रहती है 

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