Friday 17 June 2016

कविता ७४८. हँसी के अंदर का जीवन

                                          हँसी के अंदर का जीवन
हँसी के अंदर जीवन कि साँसे छुपी रहती है हँसी को परखकर जीवन कि कहानी हर बार कहनी जरुरी होती है जो जीवन को मतलब देती है
हँसी के भीतर कि ताकद जीवन मे हर बार समझ आती है जिसे समझकर आगे बढने से ही हर पल दुनिया तरह तरह के जीवन को रंग दे जाती है
हँसी को समझकर चलने कि जरुरत से ज्यादा हँसी मे जीने कि जरुरत हर पल नजर आती है जो जीवन को एक अलग किसम कि ताकद हर मोड पर दे जाती है
हँसी ही तो जीवन कि समझ बन जाती है जब हँसी कि तलाश हो तो हँसी हर पल हमे मिल जाती है जीवन मे मतलब दे आगे बढती जाती है
हँसी को मतलब देने से ज्यादा उसे जीने कि जरुरत हर बार रहती है जो हमारी किस्मत को बनाती है हमे खुशियाँ देती है आगे ले जाने कि ताकद रखती है
पर हँसी को परखकर जीवन को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है जो जीवन को अलग एहसास और सोच कि ताकद और तलाश देती है
हँसी को समझकर आगे बढते रहने कि जरुरत हर बार होती है हँसी ही तो हमारे जीवन कि सच्ची ताकद होती है जो जीवन को साँसे देकर आगे बढती जाती है
हँसी ही तो जीवन कि नई सोच होती है जो आगे लेकर हर पल आगे बढती जाती है जो जीवन कि उम्मीद होती है आगे लेकर चलती है
हँसी ही तो जीवन कि सच्ची ताकद होती है जो जीवन को आगे लेकर हर बार आगे चलने कि जरुरत होती है जो आगे बढना सिखाती रहती है
हँसी ही दुनिया कि सबसे बडी ताकद होती है क्योंकि वही तो उम्मीद देनेवाली जीवन कि सच्ची पेहचान हर पल हर बार होती है

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