Tuesday 7 June 2016

कविता ७२८. किरणों को समझ लेना

                                           किरणों को समझ लेना
किरणों को समझ लेने पर जीवन का एहसास बदलसा जाता है जो हमे खुशियाँ दे जाये वह एहसास हर पल अलग ही होता है
हर किरण को समझ लेने कि जरुरत हर पल होती है जो जीवन को रोशनी अलग लगती है जो जीवन कि दिशाए बदलती रहती है
एक ओर से एक दिशा मे जीवन कि कहानी हर बार बदलती रहती है जिसे समझ लेने कि जरुरत हर पल अहम लगती रहती है
किरणों के अंदर कि दुनिया हर बार खुशियाँ देकर चलती है सिर्फ सूरज कि नही पर कई तरह किरणे जीवन मे होती है
कई बार जीवन मे उम्मीद कि किरण भी रोशनी देती है कभी हिंमत और ताकद कि किरण ग्यान के संग मिलकर जीवन को रोशन करती है
पर हर किरण को कहाँ समझ पाये हम इतनी दुनिया आसान होती है जो जीवन को परख सके वह सोच दुनिया को हर पल हासिल कहाँ हो सकती है
किसी किरण को समझले  उसे पेहचान लेने कि जरुरत होती है क्योंकि किरण सिर्फ सूरज से नही कई ताकदों से भी मिलती है
हर ताकद को हर हिंमत को समझ लेने कि जरुरत होती है जीवन कि किरण कई मोड पर होकर जीवन कि सोच को समझ लेती है
हर किरण मे एक रोशनी हर पल जीवन को सुबह दे चलती है जो जीवन को समझाती है कि जीवन कि सुबह हर बार किसी उम्मीद को दे जाती है
किरणों को परखकर जीवन के अंदर कोई अलग सोच होती रहती है क्योंकि किरणों से ही तो दुनिया बनती है पर किरणे सिर्फ सूरज कि नही होती है  ः

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