Monday 13 June 2016

कविता ७४१. बात को समझाना

                                            बात को समझाना
कितनी आसानसी बात थी काश लोग उसे आसानी से समझ लेते और जीवन को आसान कर देते पर ऐसा होता नही है
कई बार दुनिया को बात समझाने कि जीवन को जरुरत मेहसूस होती है वही सोच अहम होती रहती है जो दिशाए बदलकर चलती है
बात हर बार बदलती जाती है क्योंकि खुदसे ज्यादा हम बाकी लोगों को समझाना चाहते है जिसे परखकर हम आगे बढना चाहते है
पर यह तो मुश्किल लगता है उसी कोशिश मे हमारी जिन्दगी हर बार बदलती जाती है जो जीवन को अलग तरह का एहसास दे जाती है
आसान बात ना समझ लेना चाहे तो मुश्किल बात बन पाती है क्योंकि बात को समज लेना ही तो जीवन कि अहमियत होती है
जीवन को समझ लेना ही तो जीवन के हर पल कि जरुरत होती है जीवन को पुरी दुनिया को समझाने मे अक्सर दिक्कत होती है
आसान चीजे जीवन मे समझ लेने कि जीवन मे जरुरत होती है पर लोगों को उसमे भी अक्सर मुश्किल दिखती रहती है
जीवन को समझ लेने कि जीवन को हमेशा जरुरत होती है जो जीवन कि सच्ची ताकद होती है जो जीवन कि सच्ची उम्मीद बनती है
जीवन मे आसान बात भी कभी कभी मुश्किल बनती है जो जीवन को साँसे देकर आगे लेकर हर पल को मतलब दे जाती है
आसान चीज को समझाये बगैर ही चलना अकलमंदी होती है पर आखिर मे कभी ना कभी उसे समझाना ही पढता है क्योंकि जीवन होता है सबको एक साथ जीने के लिए  े

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