Thursday 30 June 2016

कविता. ७७५. जमीन से उगते हुए पौधे

                                                जमीन से उगते हुए पौधे।
जमीन से उगते हुए पौधे जीवन कि कोई अलग कहानी बताते है जिन्हे समझ तो हम लेते है पर अक्सर उनके खत्म हो जाने के ख्वाब से हम कतराते है।
जो जमीन पर उगते है वह पौधे बडे खास लगते है जिन्हे समझ लेने से भी ज्यादा उनको खो देने के डर से हम हर बार थरथर कापते रहते है और आगे बढते रहते है।
जब मिटी से उपर उठकर वह जीवन मे कोशिश करते रहते है जिन्हे उपर आते देखकर हम जीवन को परखकर रहते है उम्मीदे देकर रहते है।
पौधों को समझना ही तो हमे अलग एहसास देकर आगे ले जाता है वह पौधा ही हमारी जीवन कि खुशियाँ लेकर आता है हम उस पौधे से सीख लेते है।
कभी कभी अनजाने मे हम उसके मौत से कितने कतराते है कि पौधे अपने जीवन मे लगाने से डर जाने लगते है जिनकी अलग कहानी बन जाती है।
जीवन मे पौधों कि मौत को ही समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है जो जीवन को परख लेने कि अहमियत होती है जो जीवन को अलग समझ देने कि ताकद रखते है।
जीवन मे कई पौधे सुंदर लगते है जो जमीन से उपर आते ही एक अलग दुनिया बनती है जो जीवन मे अलग एहसास देकर चलती जाती है।
पौधों को जमीन से आगे बढते रहने कि जरुरत होती है जिनसे जीवन कि खुशियाँ बनती है जिनमे हमारी दुनिया जिन्दा रहती है जिनकी जरुरत हर पल होती है।
जीवन मे जमीन से ही तो दुनिया मिलती है जो जीवन मे खुशियाँ देकर आगे बढती है जो हमे हर पल अलग हक और साँसे देकर आगे चलती जाती है।
जीवन मे पौधे ही तो अपनी जरुरत होती है क्योंकि उनकी मौत से ज्यादा उनकी जिन्दगी हमारे लिए अहमियत होती है।

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