Monday 13 June 2016

कविता ७४०. बातों पर आगे बढना

                                               बातों पर आगे बढना
किसी बात को समझकर आगे बढते रहने कि जरुरत है जीवन मे बातों को समझकर आगे बढते रहने कि जरुरत होती है
जीवन मे बाते आसानी से समझमे नही आती है उन्हे कभी कभी परखकर आगे बढने कि जरुरत होती है जो उम्मीदे देकर चलती रहती है
बात को समझकर जीवन मे आगे बढते रहने कि जरुरत रहती है जो जीवन को हर मोड पर अलग समझ हर मोड पर अक्सर देकर आगे चलती है
किसी बात को परखकर आगे बढने कि जरुरत जीवन मे अक्सर होती है जीवन कि धारा मे कई किसम कि बाते आती जाती रहती है
अगर किसी बात को समझ लेते है तो उसमे एहसास को परख लेने कि जरुरत होती है जीवन कि कश्ती अक्सर कई बाते कहते हुए आगे गुजरती रहती है
जीवन कि कोई सोच हमे समझ तो लेती रहती है पर कभी कभी उस सोच को परखकर दुनिया जीवन को बदल के हर पल आगे चलती है
बाते तो कई जीवन मे होती रहती है जिन्हे समझकर ही तो जीवन कि चाहत खुदको बेहलाने कि बजह हर बार ढूँढती हर पल रहती है
बात जो जीवन मे अहमियत होती है उसे जीवन मे हर पल समझकर चलती है वही सोच जीवन पर असर करती रहती है
जीवन को हर बार परखकर हम चलते रहते है जीवन मे बात को परखकर चलने कि जरुरत पर ही तो दुनिया हर पल चलती रहने कि जरुरत होती है
बात को समझकर जीवन कि दिशाए हर पल समझकर हम चलते रहते है जिनमे हर जीवन को हर पल समझ लेते है जिसे परख कर हम चलते है
बात को मुश्किल से समझकर हम चलते है क्योंकि बातों मे ही तो हर पल हम जीवन को समझ लेते है पर जीत तो बस उनकी होती है जो मुश्किल बातों पर भी आगे बढते रहते है

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