Wednesday 13 March 2024

कविता. ५११०. अफसानों को दिशाओं संग।

                         अफसानों को दिशाओं संग।

अफसानों को दिशाओं संग पहचान इरादा दिलाती है किनारों को तरानों से परख सुनाती है आवाजों की धून अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग मुस्कान कोशिश दिलाती है लम्हों को खयालों से आस सुनाती है जज्बातों की कहानी अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग अदा पुकार दिलाती है लहरों को नजारों से अरमान सुनाती है अंदाजों की सरगम अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग रोशनी नजारा दिलाती है कदमों को उजालों से बदलाव सुनाती है अदाओं की कोशिश अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग उमंग आस दिलाती है एहसासों को उम्मीदों से तराना सुनाती है लम्हों की आहट अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग परख सौगात दिलाती है अरमानों को राहों से एहसास सुनाती है उजालों की पुकार अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग सोच कोशिश दिलाती है इशारों को दास्तानों से पहचान सुनाती है उम्मीदों की तलाश अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग उम्मीद तलाश दिलाती है अंदाजों को कदमों से धारा सुनाती है आशाओं की रोशनी अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग अल्फाज राह दिलाती है दास्तानों को अदाओं से पुकार सुनाती है किनारों की आस अक्सर अहमियत देती है।

अफसानों को दिशाओं संग लहर आवाज दिलाती है राहों को सपनों से खयाल सुनाती है बदलावों की मुस्कान अक्सर अहमियत देती है।

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