Saturday 16 March 2024

कविता. ५११३. लहरों को किनारों की।

                               लहरों को किनारों की।

लहरों को किनारों की आस अरमान दिलाती है दास्तानों से एहसासों की कहानी परख सुनाती है अल्फाजों संग आशाओं की आहट देकर जाती है।

लहरों को किनारों की रोशनी तराना दिलाती है उजालों से आवाजों की धून अरमान सुनाती है अंदाजों संग जज्बातों की कहानी देकर जाती है।

लहरों को किनारों की दास्तान लम्हा दिलाती है राहों से धाराओं की कोशिश खयाल सुनाती है नजारों संग इशारों की पहचान देकर जाती है।

लहरों को किनारों की सोच नजारा दिलाती है सपनों से लहरों की मुस्कान तराना सुनाती है आवाजों संग एहसासों की सुबह देकर जाती है।

लहरों को किनारों की सरगम जज्बात दिलाती है लम्हों से खयालों की समझ सुबह सुनाती है अफसानों संग उम्मीदों की रोशनी देकर जाती है।

लहरों को किनारों की समझ पुकार दिलाती है इरादों से अल्फाजों की आस तलाश सुनाती है तरानों संग जज्बातों की कहानी देकर जाती है।

लहरों को किनारों की आवाज सरगम दिलाती है बदलावों से धाराओं की पुकार पहचान सुनाती है दिशाओं संग तरानों की सौगात देकर जाती है।

लहरों को किनारों की उमंग अफसाना दिलाती है आशाओं से खयालों की सोच अहमियत सुनाती है उजालों संग नजारों की सरगम देकर जाती है।

लहरों को किनारों की सुबह सहारा दिलाती है अफसानों से राहों की मुस्कान दास्तान सुनाती है आवाजों संग इशारों की कोशिश देकर जाती है।

लहरों को किनारों की आहट सपना दिलाती है अंदाजों से नजारों की कहानी अहमियत सुनाती है लम्हों संग अरमानों की आहट देकर जाती है।

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