Monday 18 March 2024

कविता. ५११५. उजालों से अरमानों की।

                             उजालों से अरमानों की।

उजालों से अरमानों की परख सुबह दिलाती है नजारों को किनारों संग अंदाज सहारा देती है दिशाओं से एहसासों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की पुकार कोशिश दिलाती है राहों को इशारों संग आस तराना देती है आशाओं से जज्बातों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की आस खयाल दिलाती है इरादों को आशाओं संग तलाश मुस्कान देती है अंदाजों से दास्तानों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की रोशनी आवाज दिलाती है अदाओं को तरानों संग कोशिश आहट देती है खयालों से उम्मीदों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की उमंग जज्बात दिलाती है कदमों को आवाजों संग धून इशारा देती है लहरों से अल्फाजों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की समझ सौगात दिलाती है राहों को अंदाजों संग उमंग आवाज देती है तरानों से लम्हों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की पहचान सोच दिलाती है किनारों को दास्तानों संग उम्मीद नजारा देती है लहरों से कदमों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की उम्मीद समझ दिलाती है लहरों को इशारों संग सरगम तलाश देती है जज्बातों से किनारों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की तलाश अल्फाज दिलाती है इरादों को आशाओं संग कोशिश तराना देती है अदाओं से आवाजों का सपना देती है।

उजालों से अरमानों की आस अंदाज दिलाती है एहसासों को उम्मीदों संग परख मुस्कान देती है किनारों से खयालों का सपना देती है।

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कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...