Monday 25 March 2024

कविता. ५१२२. इशारों को लम्हों की।

                                इशारों को लम्हों की।

इशारों को लम्हों की पहचान सहारा देती है कदमों को अदाओं की परख खयाल सुनाती है नजारों को दिशाओं संग तलाश तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की कहानी सरगम देती है किनारों को अल्फाजों की मुस्कान अरमान सुनाती है जज्बातों को राहों संग पुकार तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की आस अफसाना देती है जज्बातों को राहों की सौगात दास्तान सुनाती है उजालों को बदलावों संग सोच तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की उमंग सहारा देती है एहसासों को उम्मीदों की पुकार आवाज सुनाती है अरमानों को सपनों संग आहट तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की सौगात सुबह देती है लहरों को खयालों की समझ अरमान सुनाती है अंदाजों को आवाजों संग धून तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की कोशिश बदलाव देती है आशाओं को सपनों की आस परख सुनाती है एहसासों को राहों संग अदा तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की रोशनी परख देती है किनारों को अल्फाजों की मुस्कान आहट सुनाती है आशाओं को अंदाजों संग सोच तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की सरगम पुकार देती है अंदाजों को बदलावों की कहानी समझ सुनाती है कदमों को उजालों संग रोशनी तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की आहट उमंग देती है अफसानों को दिशाओं की पहचान आस सुनाती है लम्हों को दास्तानों संग कोशिश तराना सुनाती है।

इशारों को लम्हों की सोच आवाज देती है उम्मीदों को खयालों की सुबह उम्मीद सुनाती है अल्फाजों को राहों संग अहमियत तराना सुनाती है।

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