Thursday 21 March 2024

कविता. ५११८. इशारों को दास्तानों की।

                             इशारों को दास्तानों की।

इशारों को दास्तानों की परख सरगम दिलाती है लहरों को नजारों से जज्बातों की पहचान दिलाती है कदमों को अदाओं की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की आवाज जज्बात दिलाती है राहों को अरमानों से लहरों की कहानी दिलाती है लम्हों को खयालों की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की उमंग मुस्कान दिलाती है दिशाओं को एहसासों से अंदाजों की रोशनी दिलाती है अरमानों को आशाओं की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की पुकार पहचान दिलाती है उजालों को सपनों से उम्मीदों की कोशिश दिलाती है अंदाजों को इरादों की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की आस अहमियत दिलाती है नजारों को खयालों से अल्फाजों की उमंग दिलाती है सपनों को अरमानों की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की उम्मीद सरगम दिलाती है उम्मीदों को किनारों से आवाजों की धून दिलाती है अंदाजों को एहसासों की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की राह अफसाना दिलाती है आशाओं को दिशाओं से अफसानों की समझ दिलाती है उजालों को कदमों की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की सौगात तलाश दिलाती है अदाओं को एहसासों से उम्मीदों की कहानी दिलाती है तरानों को राहों की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की सुबह अरमान दिलाती है सपनों को अरमानों से अदाओं की कोशिश दिलाती है बदलावों को दिशाओं की सोच दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की आहट पहचान दिलाती है अल्फाजों को राहों से धाराओं की अहमियत दिलाती है अंदाजों को जज्बातों की सोच दिलाती है।

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