Tuesday, 19 March 2024

कविता. ५११६. लम्हों की सुबह अक्सर।

                            लम्हों की सुबह अक्सर।

लम्हों की सुबह अक्सर आशाओं को एहसासों की कहानी संग समझ दिलाती है दिशाओं को कदमों की आहट कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर आवाजों को बदलावों की आस संग सौगात दिलाती है लहरों को अफसानों की अहमियत कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर अंदाजों को जज्बातों की सरगम संग तलाश दिलाती है किनारों को उजालों की कहानी कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर अरमानों को सपनों की रोशनी संग खयाल दिलाती है इशारों को अल्फाजों की पहचान कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर अल्फाजों को नजारों की सपनों संग आहट दिलाती है उम्मीदों को लहरों की मुस्कान कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर दास्तानों को अंदाजों की पहचान संग दास्तान दिलाती है खयालों को उम्मीदों की तलाश कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर दिशाओं को कदमों की सौगात संग तराना दिलाती है अदाओं को लहरों की आवाज कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर इशारों को उम्मीदों की तलाश संग अल्फाज दिलाती है राहों को अफसानों की समझ कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर जज्बातों को किनारों की कहानी संग पुकार दिलाती है अंदाजों को इरादों की उमंग कोशिश सुनाती है।

लम्हों की सुबह अक्सर अफसानों को सपनों की रोशनी संग आवाज दिलाती है किनारों को आशाओं की सरगम कोशिश सुनाती है।



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