Sunday 17 March 2024

कविता.५११४. अफसानों को सपनों संग।

                         अफसानों को सपनों संग।

अफसानों को सपनों संग अल्फाज दिलाती है तरानों को उम्मीदों की कहानी एहसास सुनाती है नजारों को दिशाओं की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग मुस्कान दिलाती है उजालों को जज्बातों की राह अरमान सुनाती है आशाओं को बदलावों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग कोशिश दिलाती है नजारों को दिशाओं की कोशिश आस सुनाती है अंदाजों को आवाजों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग उमंग दिलाती है खयालों को अंदाजों की आहट मुस्कान सुनाती है दास्तानों को एहसासों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग जज्बात दिलाती है किनारों को आशाओं की समझ सरगम सुनाती है तरानों को उजालों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग सुबह दिलाती है कदमों को दास्तानों की पहचान सहारा सुनाती है इशारों को लम्हों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग आवाज दिलाती है इरादों को उम्मीदों की कोशिश पुकार सुनाती है बदलावों को अरमानों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग तलाश दिलाती है अरमानों को जज्बातों की सौगात अहमियत सुनाती है लम्हों को इशारों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग पुकार दिलाती है अल्फाजों को उजालों की सुबह एहसास सुनाती है आशाओं को बदलावों की लहर देकर जाती है।

अफसानों को सपनों संग आस दिलाती है लम्हों को खयालों की समझ बदलाव सुनाती है इशारों को दास्तानों की लहर देकर जाती है।

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