Monday, 4 March 2024

कविता. ५१०१. आशाओं का तराना अक्सर।

                              आशाओं का तराना अक्सर।

आशाओं का तराना अक्सर खयालों की आंधी देता है जज्बातों को किनारों से जुड़ने की कोशिश उजाला देकर जाती है राहों को अंदाजों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर आवाजों की धून देता है कदमों को उजालों से जुड़ने की मुस्कान उम्मीद देकर जाती है किनारों को सपनों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर एहसासों की सुबह देता है अल्फाजों को सपनों से जुड़ने की आहट तलाश देकर जाती है दिशाओं को कदमों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर जज्बातों की मुस्कान देता है अरमानों को दिशाओं से जुड़ने की आस खयाल देकर जाती है किनारों को सपनों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर अंदाजों की आहट देता है इशारों को दास्तानों से जुड़ने की कहानी अफसाना देकर जाती है आवाजों को अदाओं की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर किनारों की पुकार देता है उम्मीदों को कदमों से जुड़ने की अदा अहमियत देकर जाती है खयालों को नजारों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर अरमानों की परख देता है अफसानों को लहरों से जुड़ने की आस तलाश देकर जाती है अल्फाजों को अंदाजों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर कदमों की पहचान देता है नजारों को लम्हों से जुड़ने की कहानी अरमान देकर जाती है सपनों को दिशाओं की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर लहरों की सुबह देता है दास्तानों को एहसासों से जुड़ने की रोशनी किनारा देकर जाती है लहरों को अरमानों की उमंग दिलाती है।

आशाओं का तराना अक्सर लम्हों की कहानी देता है किनारों को अल्फाजों से जुड़ने की आस दास्तान देकर जाती है उजालों को बदलावों की उमंग दिलाती है।

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