Thursday 28 March 2024

कविता. ५१२५. किनारों को अंदाजों की।

                              किनारों को अंदाजों की।

किनारों को अंदाजों की समझ एहसास दिलाती है दास्तानों के संग आशाओं की मुस्कान अरमान जगाती है दिशाओं को कदमों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की रोशनी आस दिलाती है लम्हों के संग अरमानों की पुकार अफसाना जगाती है तरानों को उम्मीदों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की उमंग तलाश दिलाती है लहरों के संग आवाजों की धून अहमियत जगाती है नजारों को खयालों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की उम्मीद जज्बात दिलाती है इशारों के संग लहरों की आस उजाला जगाती है राहों को अल्फाजों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की सरगम राह दिलाती है आवाजों के संग खयालों की समझ सौगात जगाती है कदमों को अदाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की परख पहचान दिलाती है आशाओं के संग नजारों की सोच कोशिश जगाती है सपनों को लम्हों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की आस कोशिश दिलाती है राहों के संग बदलावों की मुस्कान रोशनी जगाती है आशाओं को इरादों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की सोच सौगात दिलाती है नजारों के संग लहरों की सुबह अल्फाज जगाती है आवाजों को अदाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की सुबह दिशा दिलाती है कदमों के संग उजालों की पुकार तलाश जगाती है दास्तानों को एहसासों की आहट देकर जाती है।

किनारों को अंदाजों की पुकार आवाज दिलाती है लहरों के संग अरमानों की सोच अफसाना जगाती है कदमों को अल्फाजों की आहट देकर जाती है।


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कविता. ५१५४. इरादों को आशाओं की।

                            इरादों को आशाओं की। इरादों को आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस किनारा देकर जाती है जज्बा...