Wednesday 20 March 2024

कविता. ५११७. सरगम को आशाओं की।

                               सरगम को आशाओं की।

सरगम को आशाओं की मुस्कान पहचान दिलाती है लम्हों को खयालों की सोच पुकार सुनाती है कदमों को अदाओं की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है राहों को अंदाजों की उमंग तलाश सुनाती है नजारों को दिशाओं की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान उजाला दिलाती है कदमों को जज्बातों की सौगात कहानी सुनाती है अल्फाजों को राहों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान खयाल दिलाती है किनारों को अरमानों की सुबह सहारा सुनाती है दास्तानों को एहसासों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान सपना दिलाती है उम्मीदों को कदमों की आस अफसाना सुनाती है उजालों को बदलावों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान दास्तान दिलाती है नजारों को लहरों की कहानी पहचान सुनाती है किनारों को अंदाजों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान तलाश दिलाती है राहों को अरमानों की सौगात कोशिश सुनाती है खयालों को इशारों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान अंदाज दिलाती है इरादों को उम्मीदों की राह अल्फाज सुनाती है लम्हों को तरानों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान किनारा दिलाती है आवाजों को कदमों की सोच जज्बात सुनाती है दिशाओं को लहरों की आहट देकर जाती है।

सरगम को आशाओं की मुस्कान समझ दिलाती है दिशाओं को सपनों की कोशिश तराना सुनाती है अरमानों को इरादों की आहट देकर जाती है।

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