Wednesday 6 March 2024

कविता. ५१०३. खयालों को सुनकर।

                               खयालों को सुनकर।

खयालों को सुनकर आहट एहसास दिलाती है लम्हों को दास्तानों की उमंग कोशिश सुनाती है नजारों संग आशाओं की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर आस अंदाज दिलाती है कदमों को उजालों की रोशनी अरमान सुनाती है अरमानों संग आवाजों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर उम्मीद सरगम दिलाती है किनारों को सपनों की सुबह अल्फाज सुनाती है तरानों संग बदलावों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर कोशिश सपना दिलाती है दास्तानों को राहों की कहानी आवाज सुनाती है लहरों संग इशारों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर उमंग तलाश दिलाती है उजालों को जज्बातों की सौगात सरगम सुनाती है उम्मीदों संग अंदाजों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर परख अरमान दिलाती है जज्बातों को कदमों की सोच अफसाना सुनाती है एहसासों संग लम्हों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर रोशनी पहचान दिलाती है लहरों को अल्फाजों की आस तलाश सुनाती है अंदाजों संग किनारों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर सुबह सहारा दिलाती है उम्मीदों को कदमों की अहमियत पुकार सुनाती है अफसानों संग आवाजों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर पहचान सौगात दिलाती है राहों को सपनों की तलाश इरादा सुनाती है एहसासों संग लम्हों की मुस्कान दिलाती है।

खयालों को सुनकर लहर सोच दिलाती है दिशाओं को बदलावों की आवाज पुकार सुनाती है किनारों संग इशारों की मुस्कान दिलाती है।

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