Friday 15 March 2024

कविता. ५११२. अरमानों को किनारों संग।

                             अरमानों को किनारों संग।

अरमानों को किनारों संग उम्मीद कोशिश दिलाती है लहरों की सुबह अक्सर आशाओं संग तलाश दिलाती है जज्बातों को कदमों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग सौगात तराना दिलाती है लम्हों की आहट अक्सर अल्फाजों संग मुस्कान दिलाती है अदाओं को नजारों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग आवाज अरमान दिलाती है राहों की कहानी अक्सर बदलावों संग सपना दिलाती है नजारों को दिशाओं की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग अंदाज इरादा दिलाती है इशारों की समझ अक्सर खयालों संग लहर दिलाती है राहों को अल्फाजों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग आहट सरगम दिलाती है आशाओं की मुस्कान अक्सर तरानों संग सौगात दिलाती है कदमों को दिशाओं की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग उमंग आस दिलाती है नजारों की कहानी अक्सर दास्तानों संग सोच दिलाती है उजालों को आवाजों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग रोशनी अल्फाज दिलाती है कदमों की सोच अक्सर इशारों संग उमंग दिलाती है इरादों को उम्मीदों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग अदा सरगम दिलाती है दिशाओं की कोशिश अक्सर उजालों संग आस दिलाती है तरानों को दास्तानों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग सुबह सोच दिलाती है अंदाजों की रोशनी अक्सर कदमों संग अल्फाज दिलाती है नजारों को बदलावों की पुकार सुनाती है।

अरमानों को किनारों संग पहचान अदा दिलाती है इरादों की कहानी अक्सर उम्मीदों संग आहट दिलाती है लहरों को एहसासों की पुकार सुनाती है।

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