Friday 8 March 2024

कविता. ५१०५. लम्हों की आहट अक्सर।

                             लम्हों की आहट अक्सर।

लम्हों की आहट अक्सर एहसास दिलाती है दास्तानों को अदाओं की पुकार कोशिश देकर जाती है किनारों को सपनों की सुबह आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर अरमान दिलाती है इशारों को आशाओं की मुस्कान अल्फाज देकर जाती है एहसासों को उम्मीदों की कहानी आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर अफसाना दिलाती है नजारों को दिशाओं की पहचान आवाज देकर जाती है जज्बातों को अंदाजों की परख आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर किनारा दिलाती है खयालों को राहों की सोच अहमियत देकर जाती है कदमों को बदलावों की सौगात आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर अल्फाज दिलाती है जज्बातों को किनारों की कहानी एहसास देकर जाती है उजालों को सपनों की सरगम आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर परख दिलाती है तरानों को अरमानों की पुकार सहारा देकर जाती है आवाजों को अफसानों की कहानी आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर आवाज दिलाती है अंदाजों को इरादों की लहर अल्फाज देकर जाती है खयालों को दास्तानों की उमंग आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर उम्मीद दिलाती है इशारों को अदाओं की परख पहचान देकर जाती है आशाओं को दिशाओं की समझ आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर तलाश दिलाती है उजालों को सपनों की सुबह दास्तान देकर जाती है इशारों को नजारों की कोशिश आस दिलाती है।

लम्हों की आहट अक्सर तराना दिलाती है लहरों को एहसासों की कहानी सपना देकर जाती है अरमानों को दिशाओं की समझ आस दिलाती है।

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