Friday 1 March 2024

कविता. ५०९८. आवाजों से जुड़कर।

                               आवाजों से जुड़कर।

आवाजों से जुड़कर मुस्कान दिशाएं देती है कदमों को उजालों की पुकार पहचान सुनाती है अल्फाजों संग अंदाजों की सरगम कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर आस राहें देती है किनारों को अफसानों की समझ खयाल सुनाती है नजारों संग आशाओं की अहमियत कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर आहट दास्ताने देती है आशाओं को बदलावों की परख लहर सुनाती है जज्बातों संग अरमानों की आस कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर रोशनी नजारे देती है उजालों को सपनों की सुबह सरगम सुनाती है किनारों संग उम्मीदों की कहानी कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर उमंग अफसाने देती है राहों को अंदाजों की अल्फाज इशारा सुनाती है कदमों संग एहसासों की रोशनी कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर तलाश तराने देती है खयालों को लहरों की मुस्कान उम्मीद सुनाती है अफसानों संग दास्तानों की आस कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर सौगात सपने देती है नजारों को किनारों की आहट लम्हा सुनाती है उजालों संग लहरों की सुबह कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर समझ लहरे देती है इशारों को दिशाओं की दास्तान अदा सुनाती है अल्फाजों संग कदमों की पहचान कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर रोशनी अदाएं देती है उजालों को सपनों की समझ बदलाव सुनाती है खयालों संग अरमानों की पुकार कोशिश दिलाती है।

आवाजों से जुड़कर सोच अफसाने देती है इशारों को लम्हों की सौगात पुकार सुनाती है इशारों संग बदलावों की सरगम कोशिश दिलाती है।

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