Thursday, 19 November 2015

कविता ३२६. ग़लत से सही तक

                                                  ग़लत से सही तक
कुछ बात जीवन मे ऐसी भी हो जाती है जो जीवन को मतलब कुछ अलग दिखाती है कतराते रहते है हर बार हमे जीवन मे सोच अलग दिख जाती है
जीवन कि हर राह पर एहसास अलग दे जाती है जीवन तो एक सोच है बदल ना उसकी फिदरत नहीं ज़रूरत है वह शुरुआत हर बार जीवन को नया एहसास दे जाती है
कुछ बातें जो ग़लत राह से शुरू हो जाती है वह सही राह तक कहाँ आ पाती है जीवन कि हर राह मे आदत अलग दिख जाती है जो जीवन को उम्मीदें देती है
राह अलग हर बार दिखाती है उस राह पर जिस पर चलना जीवन कि ज़रूरत होती है उस राह का बदलाव भी जीवन कि अहम ज़रूरत हर बार नज़र आती है
जीवन कि राहें परख लेना हमेशा ज़रूरत होती है राह तो हर बार अलग असर कर जाती है राह पर चलना हर बार जीवन को अलग सोच दे जाता है
जीवन अलग अलग राहों से ही खूबसूरत नज़र आता है जीवन कि हर राह समज लेनी ज़रूरी होती है बदलाव मे भी जीवन कि अहम ज़रूरत हर बार नज़र आती है
जीवन को परख लेना हर बार अहम होता है जीवन कि मोड़ को समज लेना ज़रूरी होता है अलग राह जीवन हर बार बना लेता है उसमें कई बार पुरानी बातों कि क़ुर्बानी देता है
पर जीवन मे जीत तो वही पाता है जो नई पुरानी बातें साथ मे ले जाता है जीवन कि धारा को अलग रूप मे परख लेता है जीवन के अंदर एहसास अलग होता है
जीवन को बदलो तो पुरानी बात भी सही कर के ही तो जिन्दगी जिया करते है जो चीज़ें सही होती है उन्हें समज लिया करते है जीवन कि धारा को सही किया करते है
बात को परख लेना जीवन कि ज़रूरत होती है जीवन मे बात कभी सही तो कभी ग़लत भी होती है जीवन मे ग़लत से सही तक सिर्फ़ बदलाव कि ज़रूरत होती है चीज़ें नहीं सबसे पहले सोच बदल लेनी पड़ती है

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