Wednesday, 25 November 2015

कविता ३३८. हर आँसू को समज लेना

                                                             हर आँसू को समज लेना
हर आँसू को समज लेना जीवन को शुरुआत देता है उस आँसू के अंदर ही दुनिया का रंग चुपके से रहता है वह आँसू ही तो कई रंग उम्मीदों के संग देता है
उस आँसू के अंदर ही जीवन का रंग दिखाई देता है आँसू जो जीवन को अलग एहसास दे जाता है आँसू मे ही कभी कभी प्रतिबिंब जीवन का आसानी से दिखाई देता है
माना कि आँसू दुःख कि परछाईं होता है पर उसे समज ले तो उस आँसू मे ही सुख दिखाई देता है क्योंकि आँसू ही तो जीवन के अंदर सच्चाई दिखाते रहते है
आँसू ही जीवन के अंदर अलग सोच दे जाते है उस आँसू के ठंडक से जीवन को आग बुझाने कि कोशिश वह करते रहते है आँसू ही तो जीवन को अलग रंग दे जाते है
आँसू जो मन को दर्द दे जाते है उन्हें समज ले तो वही जीने कि बजह बन जाते है आँसुओं के अंदर ही क़िस्से अलग दिख जाते है आँसू जो हमे जीवन दे उम्मीदें भी दे जाते है
आँसू ही शुरुआत है जीवन कि वह जीवन को अलग सोच या फिर अलग असर दे जाते है जो जीवन को आँसू मे परखे वही जीवन कि अहमियत समज पाते है
जो आँसू के अंदर जीवन को देखकर उसका मतलब अलग ढंग से लोगों को समज लेते है वह आँसू दूसरों कि आँखों से बहने कि बजह बन जाते है
हर आँसू अपने ग़म मे बहना सही नहीं है दोस्तों कभी कभी आँसू दूसरों के गम मे भी बहाने है उस से आँसू जीवन को मतलब दे जाते है उन आँसुओं को बहाने से जीवन बन जाते है
आँसू के अंदर ही हम जीवन कि उम्मीदें देख लेते है आँसू ही तो हमे आगे ले जाते है जब वह दूसरों के लिए बहते है तो वह इन्सानियत दिखा जाते है आँसू हमे आगे ले जाते है
आँसू ही तो हमारी उम्मीद कहलाते है आँसू ही तो हमे कभी कभी बताते है कि इन्सान है हम दूसरों कि परवाह करते है कभी कभी दूसरों को अपने से आगे रखते है

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