Sunday 8 November 2015

कविता ३०४. जीवन कि बाजी

                                    जीवन कि बाजी
हर बाजी का जीवन मे मतलब जुदा होता है हर मोड को समजे तो उसका मकसद जुदा होता है पर हर बाजी को खेलना ही जीवन का मकसद होता है
अगर बाजी को ना समजे तो उसका एहसास अलग होता है एक बाजी के अंदर ही जीवन कई जिन्दगीयाँ जीता है हर बाजी का मतलब हर पल अलग तरीके से जीवन मे उजाला है
हर बाजी के अंदर अलग सोच को रखना जरुरी होता है जीवन हर बाजी को अलग सोच से  समजा लेता है तरह तरह कि बाजी का अलग अलग असर होता है
बाजी तो हर बार नई चुनौती देती है पर बाजी तो जीवन मे लगा ही लेनी होती है बाजी के अंदर हर बार मकसद जुदा होता है पर बाजी तो अलग जरुरत से जीवन जीता है
जिसे हम हर बार परखे उस बाजी का मतलब बदला हुआ लगता है बाजी के अंदर नई शुरुआत देता है बाजी तो जीवन को अलग सोच अक्सर देती है
बाजी को परख लेने कि जीवन मे अलग जरुरत होती है बाजी तो जीवन को अलग दिशा दे जाती है बाजी के अंदर नई सोच तो हमेशा ही होती है
बाजी को समज लेने से ही दुनिया बनती है बाजी के अंदर ही खुशियाँ छुपी होती है बाजी को जब समज लेते है तो दुनिया बनती है क्योंकी बाजी जीवन को मकसद देती है
बाजी के भीतर परख लेने कि हर मोड पर नई जीवन कि चाहत होती है बाजी मे हर बार कुछ तो एहसास छुपे रहते है बाजी को तो हम हर बार परखते रहते है
बाजी तो जीवन को अलग एहसास देती है इसीलिए तो बाजी समज लेनी जरुरी होती है क्योंकी बाजी उम्मीदे देती है बाजी चाहे कितनी भी मुश्किल लगे वह उम्मीद देती है
बाजी तो जीवन को अलग शुरुआत देती है बाजी को ही समज लेना हर बार जीवन को उम्मीदे दे जाता है बाजी ही एक तरीका होती है जो जीवन को सही सोच देती है 

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