Friday 27 November 2015

कविता ३४२. नन्हा उजाला

                                               नन्हा उजाला
जब जीवन मे चुपके से उजाला हो जाता है जीवन सुनी डगर पर अलग एहसास दे जाता है जीवन के अलग एहसास मे मुस्कान वह लाता है वह रोशनी दे जाता है नई सुबह लाता है
उजाला तो जीवन को सोच नई ले आता है उजाला ही हमारे जीवन को एहसास अलग देता है जीवन कि इस धारा को वह मतलब दे जाता है जो उजाला मन को छू जाता है
छोटी नई रोशनी जो जीवन को मतलब देती है जो शुरुआत जीवन को एहसास सुहाना देती है वह अहम सोच होती है छोटीसी उम्मीद जो जीवन को आगे बढाती है
वही नया एहसास जीवन को उम्मीद दे जाता है जीवन मे हर कदम पर कुछ तो अलग होता है उजाले कि हर छोटी लकीर भी रोशनी बनती है जो जीवन को हर बार आगे ले जाती है
उजाला ही तो अक्सर हमे उम्मीद दे पाता है जो जीवन को सुनहरा एहसास देता है दिल बस इतना चाहता है कही वह मुस्कान छूट न जाए जो जीवन को नई रोशनी देती है
उजाले मे जीवन कि उम्मीद हर पल होती है जब उजाला जीवन को समजे तो उसमें अलग तरह कि सोच बसी होती है जीवन के अंदर हर बार जीवन कि ख्वाहिश छुपी होती है
नन्हे से उजाले मे जीवन कि सोच हर बार बदल देता है वह हमे हर बार ख़ुशियाँ तोहफ़े मे देता है नन्हे से एक तिनके संग उम्मीदें नई आती है जो जीवन को आगे ले जाती है
जीवन कि कश्ती कभी पार होती है तो कभी मजधार मे रुक जाती है पर नन्हे से उजाले से ही दुनिया जीवन नया दे जाती है जीवन के हर मोड़ पर दुनिया अलग दिखती है
छोटी छोटी बातें दुनिया पर असर अलग कर जाती है दुनिया को हर बार बस उम्मीदों से ही चलती है वह जीवन मे रोशनी का एहसास अलग लाती है नन्हे से चीज़ से सोच अलग लाती है
नन्हे से रोशनी से दुनिया अलग एहसास और अलग सोच यही होती है कि जीवन को बड़े उजाले कि ज़रूरत नहीं होती है पर दुनिया मे लोग यह कहाँ समज पाते है
इसीलिए नन्ही रोशनी होते हुए भी बड़े उजाले के उम्मीद मे अपने घर कि रोशनी बुझाते जाते है वह नन्ही रोशनी से जीवन मे उम्मीद बड़े रोशनी कि हर बार चाहते है

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