Wednesday, 18 November 2015

कविता ३२५. किरणों के अंदर की ताकद

                                                          किरणों के अंदर की ताकद
किरणों के अंदर सूरज ताकद रखता है जो जीवन के हर रंग को हर बार परख लेता है किरणों के आने से चीज़ों का रंग बदलता है हमे लगता है कि उनसे चीज़ का रंग हमे समज जाता है
किरणों के अंदर कि ताकद उन चीज़ों को बरबाद करती है जिनमे जिन्दा रहने कि ताकद होती है उन्हें वह किरणें मार देती है पर हमे उन चीज़ कि एहमियत नहीं सिर्फ़ किरणों कि ताकद समजती है
वही इन्सानों कि कमज़ोरी होती है वह चीज़ों से ज्यादा ताकद को अहम समज लेती है वही सोच जो दुनिया को मतलब दे जाती है चीजों के अंदर अलग सोच होती है
चीजों के अंदर अहम सोच तो वह होती है चीजे अलग अलग असर कर जाती है पर अगर हमारी नज़र में ताकद ही जरुरी होती है जो जीवन पर असर कर जाती है
किरणों के अंदर जो तरीके होते है उनमे ताकद होती है सूरज की ताकद से चीजे बरबाद होती है पर हम नहीं समज पाते की हमारे लिए चीजे जरुरी होती है क्योंकि वह चीजे अहम होती है
सूरज के हर किरण से रोशनी नहीं होती है कुछ किरणे हमें बरबाद भी करती है इन्सान की एक आदत होती है एक बार किसी चीज को चाहे तो बस उसी में उसे ताकद दिखती है
जब किरणे हमें नुकसान देती है फिर भी उनकी जीवन में जरूरत होती है किरणों के अंदर दुनिया जिन्दा होती है जिसे समज लेना जरुरी होता है
किरणों की आग जो जीवन को अलग तरीके का असर दे जाती है  वह हमारी चीजों को बरबाद कर जाती है क्योंकि जीवन के अंदर अलग असर कर जाती है
किरणों की अंदर आग जो जीवन पर अलग असर कर जाती है चीज तो जीवन को कई अच्छे असर दे जाती है जो जीवन को रोशनी दे जाते है
चीजें किरणों से अहम हर बार होती है चीजें जो खराब होती है उन चीजों से ही जीवन बनता है तो उन चीजों को परख लेना जरुरी होता है तो किरणों से उन्हें बचाओ क्योंकि उनके सहारे ही हमको जीना है

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