Tuesday 3 November 2015

कविता २९५. बहनेवाली नदीयाँ

                                  बहनेवाली नदीयाँ
बहते रहनेवाली नदीयाँ संग कुछ तो बात कर लेनी है वह धारा जो जीवन मे बहती रहती है उसे हर बार समज लेनी है जीवन का बहना आसान और सुनहरा होता है वह जरुरी है
हर कदम पर आगे चलना लाजमी है क्योंकी जीवन आगे बढने कि पूँजी जरूरी है और वह हमे बहाव कि ताकद देता है बहते जाता है वही तो कि सच्ची पूँजी बनता है
बहते रहना ही जीवन कि सच्ची कहानी बनता है तो बहते रहना ही जीवन कि निशानी बनता है जिसे परखे तो जीवन हर एक बार नई निशानी देता है
जैसे नदीयाँ पत्थर को चीर कर जाती है और जीवन कि अलग कहानी लिखती है उन पत्थर को तोडने कि ताकद ही तो उस नदीयाँ मे होती है जो जीवन को मतलब देती है
नदीयाँ तो जीवन को नया एहसास देती है उसे समज लेना जीवन कि जरुरत होती है जीवन को हर बार उम्मीदे देने कि ताकद हर बार नदीयाँ मे होती है
क्योंकी पत्थर को चीर के सिर्फ पानी कि सीधी सी धारा जाती है जो जीवन को ताकद का मतलब बताती है सीधी चीज के अंदर भी कभी कभी जीवन कि मजबूत ताकद होती है
पानी कि एक धारा भी पत्थर को चीर लेती है जीवन कि राहों मे भी जिन्दगी अलग राह दिखाती है वह उस ताकद को जिन्दा रखती है जो हार को जीत मे बदलना सीखाती है
पानी कि सीधी साधी धारा भी जीवन मे अलग एहसास दिखाती है वह हारे हुए जीवन के अंदर जीत कि साँस जगाती है वह उम्मीदे पानी से ही जीत का मतलब समज लेती है
सीधी चीज भी जीवन मे कभी कभी जीवन मे जीत का गीत सुनाती है पानी कि धारा भी कोशिश करे तो पत्थर को चीर पाते है यही तो जीवन की धारा होती है
तो जीवन मे कमजोर पडे तो क्यूँ डरना आखिर जीवन मे कमजोर भी जोश से आगे बढता जाये तो जीवन मे आखिर वो कमजोर भी कोशिश करे तो अक्सर जीत होती है

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