Thursday 12 November 2015

कविता ३१२. हर कोने मे

                                                 हर कोने मे
जीवन को हर कोने से परख लेना जरूरी होता है पर जीवन मे इतने कोने होते है कि उनमे जाना मुश्किलसा लगता है कोनों को परख लेना बडा मुश्किल लगता है
कोने मे ही जीवन को मतलब मिलता है उस कोने के अंदर नई शुरुआत होती है कोनों के अंदर दुनिया बसती है कोने मे ही जीवन कि साँसे बसती है
कोने मे हर बारी जब दुनिया बनती है उस कोने मे ही हमारी खुशियाँ रहती है कोने मे दुनिया जिन्दा रहती है कोने से ही तो दुनिया बनती है पर कोने तो कितने दूर है
इसीलिए कोनों मे अलग अलग एहसास वह दुनिया देती है कोना एक वही जगह है जिसमे जीवन को समज लेना होता है पर हम हर कोने को कहा परख पाते है
कोने तक जाना हर बार मुमकिन नही होता है कोने मे ही दुनिया को जिन्दा रखते है कोने मे छुपी जीवन कि धारा को समज लेना चाहते है कोने मे जीवन को रखते है
कोने के अंदर जीवन को समज लेना हर बार अलग दिशा देता है कोने मे ही हर बार जीवन आगे बढता है कोने मे ही हम दुनिया को समज लेते है
चुप के से ही जाने क्यूँ पडदे के पीछे से ही लोग हर बार दुनिया मे सच कहते है और उस सच को दुनिया को दिखाने खातिर ही तो कई लोग लढते रहते है
कोने मे ही चुपके से ही लोग दुनिया को समज लेना चाहते है कोने ही जीवन को हर बार अलग मतलब दे जाते है जीवन एक कोने मे छुपा है यह हम हर बार कहा समज लेते है
कोनो मे छुपी खुशियाँ हम हर बार तलाश करते रहते है कोने ही है जो जीवन को हर बार रोशनी देते है कोने मे ही दुनिया के कई रंग छुपे रहते है जो रोशनी देते है
कोने मे दुनिया को परख लेते है पर हम कहा कोनों मे हर कहा जा पाते है कोने मे जीवन को नया मतलब हर बार हम समज लेना सीखते है कोने मे जीवन के अलग अलग चेहरे दिखते है

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