Monday, 16 November 2015

कविता ३२०. वक्त

                                                वक्त
बारिश के पानी मे जब खेले थे वो वक्त भी प्यारा था अब पानी से बचते है यह वक्त भी प्यारा है जीवन सुख दुःख का एक खेल है जो हर पल प्यारा है
जिसे समज लेने मे ही जीवन का गुज़ारा है जीवन के हर खेल को हँसकर जिसने गुज़ारा है वही तो जीवन को परख पाया वही जीवन का सही सहारा है
वक्त बदलता है पर उसके संग कब बदले कब ना बदले यह तो हमे तय  करना है वक्त के संग कभी अच्छाई कि निशानी और कभी गुनाह हर बार बनती है
वक्त को समज लेना जीवन कि ज़रूरत होती है वक्त ही जीवन को अलग तरीक़े से समज लेता है हर बार वक्त जीवन को सही सोच दे जाता है वक्त हमे समज लेता है
वक्त के अंदर अलग ख़यालों का कुछ तो असर हर बार होता है वक्त तो हर बार जीवन को अलग रंग देता है वक्त को जीवन मे हर बार अलग असर करना है
पर जो सोच जीवन पर असर कर जाती है वक्त तो जीवन पर अलग असर करता है जो जीवन पर हर बार नई सोच उम्मीद जीवन को मतलब दे जाती है
वक्त के सारे असर जो जीवन पर असर कर जाते है वही तो जीवन मे उम्मीद लाते है वक्त मे ही तो जीवन का बदलाव होता है कभी बदल जाओ तो जीवन का असर होता है
वक्त ही तो कभी कभी ग़लत होता है पर वह वक्त समज लेनेवाले ही जीवन मे अक्सर सही दिशा मे चलते है वक्त को परख लेना हमेशा सही होता है
वक्त को समज लेना ही हमेशा अहम होता है जो जीवन को समजे वह हर बार समज लेता है हर वक्त का अपना तरीक़ा होता है जो वक्त के साथ चलता वही यह समज लेता है
वक्त हर बार जीवन मे अहम होता है उसके हर पल को जो समज लेता है वही जीवन को सही उम्मीद देता है वक्त ही जीवन कि ज़रूरी होता है उसे परख लेना ज़रूरी होता है

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