Saturday, 21 November 2015

कविता ३३१. बिन कहे समज लेना

                                                               बिन कहे समज लेना
कुछ कहना मुश्किल होता है पर कुछ लोग ऐसे होते है कि वह बिना कहे ही समज जाते है क्योंकि समजने से भी ज्यादा वह मन से काम लेते है
उन्हें बिना कहे ही लोगों का कहना समज में आता है जो अपने लिए अच्छा चाहे वह बस सही ही करता है उस इन्सान को समजने की क्या जरूरत जो सिर्फ भला ही चाहता है
हम भी तो वही चाहते है जो हमारे लिए सही होता है जीवन की हर सोच को परख लेना हर बार जरुरी होता है पर जो हमारा भला चाहे उनकी बात का सही नतीजा होता है
जीवन में हर बार हमें सही की ही तो तलाश होती है यही तो जीवन का अलग नतीजा होता है हर बात में सही चीजों का समज लेना जरूरी होता है
जीवन में हमें तो सही की खोज होती है जिसे समज लेना हर बार अहम होता है जीवन के अंदर हर बार सोच को समज लेना जीवन को मतलब देता है
हमें समज में नहीं आती वह बाते जिनमें जीवन सही होता है तो कोई परखे हमारे लिए तो क्या गुनाह होता है जीवन का हर रंग बदला हुआ होता है
जीवन के अंदर हर सोच का अलग असर सा होता है पर सही सोच का जीवन पर हमेशा सही असर होता है जिसे समज लेना जरुरी होता है
जीवन के हर सोच के अंदर मतलब अलग होता है सही सोच से ही जीवन का मतलब सही होता है तो कभी कभी मन से भी ज्यादा दुसरे की सोच का सही असर होता है
जीवन को सही तरीके से जीना हर बार अहम होता है अगर कोई हमें सही राह दे तो वह अपनी सोच से भी बेहतर लगता है
क्योंकि कभी कभी कुछ इन्सान हम से भी ज्यादा हमारे मन को आसानी से समज लेता है तो उसी इन्सान की सलाह मन को सही लगती है 

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