Monday, 16 November 2015

कविता ३२१. हँसी कि ताकद

                                          हँसी कि ताकद
कुछ बातों से जीवन मे कुछ ऐसी हँसी आती है जिसे समज लेने से दुनिया बदल जाती है हँसी तो जीवन को एहसास नया दे जाती है उसे समज लेने से जीवन कि गाड़ी अलग पटरी मे चलने लग जाती है
हँसी तो जीवन कि ताकद बन जाती है वह हर जीवन को अलग रोशनी दे जाती है हँसी जीवन कि वह सोच है जिसमें दुनिया जिन्दा हो जाती है हँसी तो ऐसी चीज़ है जो पकड़ मे नहीं आती है
अक्सर आँखों मे चुपके से आती है और हम रोके उस के पहले होठों पर छा जाती है हँसी को रोके यह हमारे क़ाबू मे नहीं होता है वह जीवन को तूफ़ान कि तरह अपने साथ ले जाती है
हँसी मे ही तो जीवन कि सबसे बड़ी ताकद होती है जो दुनिया को हर मोड़ पर बदल देती है क्योंकि वह हँसी ही दुनिया को मतलब दे जाती है क्योंकि हँसी ही जीवन कि पूँजी होती है
हँसी तो जीवन कि पुकार होती है हँसी ही जीवन का सबसे ख़ास तोहफ़ा होती है जो जीवन कि शुरुआत देती है हँसी ही तो जीवन कि रफ्तार होती है जो जीवन को नई सुबह दिखाती है
क्योंकि हँसी के अंदर अलग ख़ुशियों कि शुरुआत होती है हँसी तो जीवन को हर बार ख़ुशियाँ देती है जो जीवन के हर सही मोड़ कि बजह बनती रहती है
हँसी तो हर बारी जीवन को नई मोड़ कि शुरुआत देती है हँसी ही होती है जो जीवन मे ख़ुशियों कि पेहचान बनती है वह छुपती नहीं जीवन का आइना बन जाती है
हँसी से ही जीवन का मतलब हर बार बनता है जो जीवन को कई बार आगे बढ़ाने कि बजह बन जाता है हम सबकुछ छुपा लेते है पर हँसी कि पेहचान को समज लेने अलग अंजाम दे जाता है
हँसी तो जीवन कि सच्ची पेहचान बन जाता है क्योंकि हँसी तो दिल का सच्चा अरमान दिखा जाती है हँसी तो वह तूफ़ान है जो जीवन को ऐसे हिलाती है
कि जीवन कि गाड़ी अगर सही पटरी से हिल चुकी हो तो भी वह उसे सही पटरी पर लाती है जीवन मे हर बार अलग अलग पटरी से एक ख़ुशियों कि पटरी पर हर बार लाती है

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