Saturday 7 November 2015

कविता ३०२. चुनी हुई राह

                                                               चुनी हुई राह
जब राह चुनी है जीवन मे क्या सोचना हँसी है या आह है जब जीवन को समज चुके है तो क्या मुश्कील राह मे है सही हो तो काफी है क्योंकी जीत हमारी चाह मे है
हँसी का मतलब सच्चाई है और वही तो जीवन कि सही राह है सही गलत तो राहों मे हर बार हम जाते रहते है सही तो वह है जिसे सच कहने कि चाह है
राह के अंदर जब सच्चाई होती है उसका जीवन पर कुछ तो असर होता है राह को जीवन हर बार परख लेता है उसे समज लेना जीवन को रोशनी देता है
राह तो जीवन में सबकुछ होती है अगर राह हमें उम्मीदे दे जाती है उस राह पर जीवन दिखा देती है राह को समज लेना जरुरी होता है
राह तो हर मोड़ को अलग एहसास हर बार दे जाती है राह ही तो जीवन का सही मतलब लाती है राह को समज लेना नई सोच जीवन में देता है
राह को समजना जीवन को अलग एहसास देता है सोच के अंदर नई शुरुआत नज़र को हर बार दिखती है जीवन में अलग सोच आती है
जीवन के अंदर राह में अलग अलग सोच जिन्दा जो होती है उसे जिन्दगी तरस कर नई दिशाए देती है राह के अंदर अलग सोच होती है
राह को परख लेने से जीवन की नई शुरुआत होती है राह के भीतर अलग सोच जो दुनिया को अलग किसम का एहसास हर बार देती है
राह पर अलग अलग बाते जो दिखती है उन्हें परख लेना जरूरत होती है पर अगर सोच कर हमने राह चुनी होती है तो उसे समज लेना जरूरत होती है
राह तो अक्सर जीवन को एक साँस देती है वह राह जिस पे अलग किसम का एहसास जीवन का जिन्दा करता है वही तो जीवन की साँस होती है 

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