Sunday 29 November 2015

कविता ३४६. ग़म के बीच कि खुशी

                                   ग़म के बीच कि खुशी
कुछ बातें ऐसी होती है जो जीवन का रंग बदल के आती है कभी कभी ख़ुशी और कभी कभी गमों के लहरों मे जीवन को एहसास नया दे जाती है
बातें जो जीवन के अलग अलग मतलब दिखाती है वही जीवन का अलग एहसास दे जाती है पर जीवन के अंदर मतलब जो सोच हमे दे जाती है
पर मुश्किल तो वह बात है जो हमे जीवन के अंदर एहसास नयासा लाती है गमों के साथ ख़ुशियाँ भी जीवन का हिस्सा बन जाती है जब जब जीवन मे नई सुबह आती है
उसे समज लेने से जीवन कि धारा बदलती जाती है यह मोड़ के अंदर अलग किसम कि सोच हमेशा होती है जो जीवन को अलग उम्मीद दे जाती है
हर बार जब हम दुनिया को समज ले तो जीवन कि धारा आगे बहती जाती है उसे परख लेने कि चाहत एहसास नया लाती है हर कदम नई रोशनी ले आती है
जीवन कि हर धारा मे अलग सोच हमेशा होती है जो जीवन को हर कदम पर उम्मीद अलग ही दे जाती है सोच को समजे और परखे जो ही रोशनी आती है
ग़म हो या ख़ुशी हो जीवन कि धारा तो सही उम्मीद जीवन को हर बार दिखा लेती है जीवन मे जिस चीज़ को परखे उस चीज़ से सोच अलग ही आती रहती है
ग़म के बीच मे ख़ुशियाँ अक्सर असर तो जीवन पर कर के जाती है अलग हम जीवन को समजे तो ग़म से ज़्यादा ख़ुशियाँ ही हर बार जीवन मे अहम नज़र आती है
जब ख़ुशियाँ हम सब ढूँढ़ते जाते है ग़म धीमे धीमे जीवन से निकल जाते है और जीवन मे सिर्फ़ ख़ुशियाँ रह जाती है जो नई उम्मीदें हर बार जीवन मे लेके आती है
ग़म से ज़्यादा ख़ुशियों को चाहे तो ख़ुशियाँ ही जीवन कि नई सुबह बन जाती है जीवन मे हर मोड़ पर अलग सोच और अलग एहसास दे जाती है जीवन को आगे ले जाती है

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