Tuesday 17 November 2015

कविता ३२३. दुसरे का मन

                                                               दुसरे का मन
जब लोग समज लेना चाहे तो बात पल भर में समज जाती है शायद समज लेने की चाहत ही दुनिया में कम पड़ जाती है
अगर तूफ़ान से निकल जाओ तो जिन्दगी आसान बन जाती है पर तूफ़ान में से निकल लेना ही जीवन की सब से बड़ी उलझन होती है दूसरे को समज लेना उस पार करने कि इजाज़त होती है
हम ज़रूर समज पाते दूसरे के मन को जो जीवन मे उसकी मेहनत करते है वह कभी ना कभी तो दिल को समज ही लेते है जो उसे परख लेना जरुरी समज लेते है
जब लोग दुसरे के दिल को समज लेने की कोशिश करते है जीवन में नई सोच जिसे जीवन को दिल का मतलब देता है सोच मन को ख़ुशी देती है
अलग सोच जो जीवन की नई शुरुआत होती है क्योंकि सोच जो जीवन को एहसास देती है हमें जीवन को समज लेना है मन को सोच हर बार सही होती है
जीवन में अलग सोच का एहसास हर बार सोच को समज लेना अलग एहसास होता है मन को समजना हर बार मुश्किल होता है
पर जीवन के अंदर ख़याल हमारे मन को सही सोच देते है जीवन की धारा नई सोच देते है जीवन के अंदर सोच होती है जो जीवन में उम्मीद देती है
दुसरे दिल के अंदर सही सोच जीवन को अलग असर हर बार जीवन को नया एहसास होता है उस सोच में सही सोच का एहसास होता है
दुसरे के दिल के अंदर अलग उम्मीद हर बार होती है अलग उसे समजे तो ही जीवन में उजाला हर बार होता है जो जीवन को रोशनी देता है
दिल के अंदर दुसरे के अलग एहसास देता है जो जीवन को हर बार रोशनी और खुशियाँ हर बार देता है नया एहसास हर बार आगे ले जाये यह एहसास दुसरे के मन से समज जाता है

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