Saturday 2 January 2016

कविता ४१५. जीवन मे कहना

                                        जीवन मे कहना
हर बारी कुछ कहते है तो जीवन कि शुरुआत हर राह पर होती है क्योंकि उस राह पर जो जीवन को साथ देती है वह शुरुआत हर बार होती है जो नया एहसास हमे देती है
पर कहना तो हर बार जरुरी होता है क्योंकि कहने से ही मन कि हर बात आगे बढती है कहने से ही जीवन मे कोई शुरुआत होती है जो जीवन को मतलब देती है
राह को मतलब तो जीवन कि हर धारा होती है वह कहने से ही धीमे धीमे आगे बढती है कहना तो हर बार जीवन मे जरुरी होता है कहना ती जीवन कि राह सही बनाता है
कहते तो हम हर बार हर मोड पर रहते है पर हर बात को समज ना भी तो जरुरी होता है पर अगर हम बात को समज ही नही पाए तो कहना जीवन मे जरुरी होता है
कहना तो हर बार असर अलग ही देता है कहते तो है हम हर मोड पर फिर भी हम यही सोचते है कहते तो हर बार हम रहते है उसमे तो मतलब नही होता है जब लोग नही सुनते है
कहना तो हमे हर बार अहम लगता है पर लोग कहाँ जीवन मे ठिक से सुनते है कुछ पल सुने तो मेहरबानी होती है लोगों कि चाहत तो बस उनकी सुनाने कि होती है वह बडे दिलवाले होते है जो गैरों कि सुनते है
कहना तो हर बार जरुरी होता है उस बात को परख लेना हम अहम समझ लेते है कहते तो हर बार कुछ ना कुछ हम हर दम जो सुने वही हमारे दोस्त बनते है
क्योंकि कुछ वह कहे और कुछ हम कहे यह सोच हमारे जीवन कि है जिसे हम हर बार जीवन मे जिन्दा रखते है कहना तो हर बार हमे अहम ही लगता है
क्योंकि जो बात हम कहते है तो ही दुसरे कि राह समजते है पर जवाब मे हम तेहजीब कि उम्मीद करते है क्योंकि बदतमीज से अक्सर हम बदतमीजी से ही बात किया करते है
तो उस बातचीत मे क्या हासिल है जिस से हम सिर्फ बदतमीजी सीखते है हम अक्सर यही उम्मीद लोगों से करते है कि अगर उन्हे हम नही भाते तो उन्हे हमसे दूरियाँ रखने कि उम्मीद किया करते है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२४. बदलाव को लहरों की।

                                बदलाव को लहरों की। बदलाव को लहरों की मुस्कान कोशिश सुनाती है दिशाओं को नजारों संग आहट तराना सुनाती है आवाजों...