Saturday 9 January 2016

कविता ४२८. खुदा से मिला जीवन

                                               खुदा से मिला जीवन
हर बार हमने सोचा वैसा नही होता है पर जो भी होता है वह बहोत खूब होता है क्योंकि वह तो खुदा तय करता है वह हर बार कुछ खूब ही कहता है क्योंकि वह हम से बेहतर रहता है
पर जब वह गम देता है तब जाने क्यूँ उस पर शक सा होने लगता है दिल डरता है मन को चोटसी दे जाता है पर शायद वही हर पल सही होता है जो उम्मीद दे जाता है
क्योंकि उसके बिना जीवन मे उम्मीदे कहाँ आती है जीवन को हर बार उम्मीद जो हमे आगे ले जाती है उस खुदा से ही तो हमे उम्मीद का एहसास हर बार मिलता है
खुदा ही तो जीवन को नई सोच देता है फिर वह गम भी देता है तो उसे अपना लेने मे ही अक्कलमंदी दिखती है क्योंकि उस सोच से ही जीवन मे आशा कि किरन आती है
जिसने हमे दियी उम्मीद वही तो जीवन को मिलती है खुदा से ही जीवन कि उम्मीद बनती है उस के गमों से तकराने कि जीवन मे क्या जरुरत होती है जो हमे आगे ले जाती है
खुदा से ही तो जिन्दगी मिलती है तो उसके गमों मे भी हमे खुशियाँ ही हासिल होती है जीवन मे उम्मीद हर बार मिलती रहती है खुदा से ही जीवन कि शुरुआत होती है तो उसे ही अपनाने कि जरुरत होती है
उस खुदा से ही जीवन कि सही उम्मीद बनती है कभी वह गम भी दे जाता है तो अपना लेने से क्यूँ कतराना होता है खुदा के अंदर ही हर बार कुछ उम्मीद होती है
खुदा को समज लेने कि जरुरत होती है खुदा ही जीवन कि उम्मीद होता है जो कभी गम दे जाता है तो क्या हर बार खुशियाँ उस कि बजह से ही तो जीवन मे होती है
पर गमों का जीवन पर असर होता है क्योंकि गम ही तो जीवन मे आगे ले जाते है जब खुदा दे उनको तो असर हर बार कर जाते है पर वही तो अक्सर हमारे साथी दिखाते है
उप्परवाले से जो मिले वही ले लो क्योंकि वही दाता है हमारे जीवन के जो हमे सही राह दिखाते है उनके दियी खुशियाँ और गम ही तो हमारी दुनिया बनाते है हमे आगे ले जाते है

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