Wednesday 13 January 2016

कविता ४३७. हर मोड़ पर अलग सोच

                                                            हर मोड़ पर अलग सोच
हर राह में हर मोड़ पर अलग सोच तो होती है जब हम बदल जाते है तो क्यूँ इतना अचरज होता है यह देख कर दूसरे ने अपनी सोच बदल दी है
कोई फर्क नहीं पड़ता है बदलती हुई किसी सोच से क्योंकि अक्सर जीवन में सोच बदलती रहती है जिसे समज लेने में दुनिया हर बार अपना रंग बदलती है
सोच तो वह बदलाव है जो जीवन को साँसे देता है पर हम भी बदल जाते है तो क्यूँ डरना जब लोग गलत के लिए बदलते है जीवन की हर धारा में सोच तो अलग ही होती है
उस सोच को समज लो जिसमें दुनिया हर बार बसती है पर सोच को परख लेने की जाने क्यूँ जीवन को जरूरत होती है सोच ही वह ख़याल है जो जीवन को रोशनी देता है
सोच को कुछ मोड़ पे समज लेना यही जिन्दगी होती है सोच की नई धारा में हर पल खुशियाँ मिलती है सोच को समज लेना तो जरुरी होता है
पर सोच एक जैसी कहाँ रहती है बदलना उसका मतलब है क्योंकि सोच ही तो जीवन को उम्मीद देती है जीवन में उजाले लाती है हर बार नयी शुरुआत दे जाती है
सोच को समज लो तो ही जीवन की नई शुरुआत होती है सोच ही तो हर कदम पर एक साँस बन कर चलती है जो जीवन को अलग दिशा दे जाती है
सोच के अंदर हर बारी कुछ अलग मिसाल सी बनती है जो जीवन में फर्क कई दे जाती है सोच तो हर मोड़ पर हमारा जीवन बदल लेती है
सोच को समज लो तो ही दुनिया बनती और बिघडती है जीवन की हर धारा में सोच तो हर पल बदलती है क्यों कतराये हम सोच से जब जीवन में चीजे बदलती रहती है
हमें परख लेने की जरूरत है की कौन सही सोच रखता है क्योंकि दुनिया तो बदलती रहती है सोच हर मोड़ पर रंग बदल भी देती है 

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