Thursday, 21 January 2016

कविता ४५३. उम्मीद एक तितली

                                                            उम्मीद एक तितली
उम्मीद को जिन्दा रखो तो वही रोशनी देती है उम्मीद ही जीवन की ताकद दे जाती है उम्मीद ही हमारे जीवन को रोशनी देती है उम्मीद को समज लेना जरूरत होती है
उम्मीदों में ही तो जीवन की सही शुरुआत होती है उम्मीद के अंदर जीवन की नई राह होती है जीवन को समज ले तो ही उम्मीदे हमें ताकद दे जाती है
उम्मीद को परख ले तो जीवन की धारा हर बार नयी दिशा दे जाती है उम्मीद ही हमारी ताकद है जिसके सहारे जिन्दगी आगे बढ़ जाती है
उम्मीद तो वह तितली है जिसे आगे ले जाने की जरूरत हर बार काम आती है उम्मीद तो फूलों पर उड़ती रहती है एक ओर से अलग दिशा में चलती जाती है
उम्मीदों को समज ले तो दुनिया नया मतलब दे जाती है उम्मीद तो एक मासूम चीज है जो हर जगह पर इधर उधर उड़ती जाती है
उम्मीद को पकड़ लेना मुमकिन नहीं है क्योंकि वह तो उड़ती ही जाती है चुपके से उसे देखो तो ही वह जीवन में ताकद ले आती है
उम्मीद जितनी प्यारी है उतनी ही नाजूक भी वह होती है जो जीवन के धारा को कहाँ समज पाती है उम्मीद के पंखों को समज लो तो ही उनसे उम्मीदे मिलती है
जीवन की हर राह हमे आगे ले जाती है पर अगर कुछ ज्यादा ही मजबूती से पकड़ो तो वह टूट जाती है तो वक्त ना दो जीत को क्योंकि कभी कभी वह देर से भी आती है
उम्मीद तो जीवन का वह एहसास है जिसे समज लेने में हमारी जिन्दगी गुजर जाती है पर उसे खो देने से अच्छा है उसे ढूँढने में ही जिन्दगी गुजर जाती है
उम्मीद ही जीवन की वह ताकद होती है जिसे परख लेने से जीवन में हर बार रोशनी होती है जीवन की धारा तितली की तरह मासूमियत से यहाँ वहाँ घूमती रहती है

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