Wednesday 27 January 2016

कविता ४६४. लिखी सच्चाई

                                                                   लिखी सच्चाई
कागज जो जीवन को मतलब दे जाते है कागज में लिखे एहसास जीवन को नई उम्मीद दे जाते है कागज ही जीवन को सही किसम कि सोच दे जाते है
कागज में लिखी चीजे जीवन को अलग ताकद देती है पर सवाल तो यह होता है क्या सच्चाई से वह ऊपर होती है जो सच है उसी में जीवन की उम्मीद होती है
कागज में अलग अलग मोड़ पर दुनिया अलग रंगों से दिखती है जीवन कि हर धारा में सच्चाई एहसास देती है कागज  के अंदर सोच होती है
पर अगर वह झूठ हो तो बस दो दिन की मेहमान होती है कोई सिर्फ कुछ लिखकर अपनी किस्मत नहीं बदल पाता हमारी किस्मत तो सच्चाई बदलती है
कागज में हर पल अलग एहसास तो तब होता है जब उसमे सच्चाई छुपी होती है जो जीवन के अंदर अलग एहसास वह सच्चाई  देती है
कागज में लिख देने से जीवन की सच्चाई नहीं बदल पाती है जो हर बार जीवन में अलग ताकद जीवन को नया एहसास हर दिशा में देती है
कागज ही तो जीवन को कोई मतलब दे जाते है जो हमे आगे ले जाती है वह जीवन की हर राह पर शुरुआत देते है पर बिना सच्चाई के जीवन की शुरुआत नहीं होती है
कागज की कश्ती दुनिया में काफी नहीं होती है सिर्फ सच्चाई लब्ज को मतलब दे जाती है जीवन को नया एहसास हर बार हर मोड़ पर देती रहती है
कागज पे लिखी बात सच्चाई ना हो तो जीवन में ज्यादा दिन नहीं टिक पाती है कागज के अंदर अलग सच्चाई तो हर बार रोशनी दे जाती है
क्योंकि कागज की रोशनी हर बार हमे उम्मीद से  ज्यादा तभी देती है जब उसमे सच्चाई है दिखती वरना वह बस वह कागज की कश्ती है जो तूफानों के साथ बहती है

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