Thursday 7 January 2016

कविता ४२४. खुबसूरती कि तलाश

                                    खुबसूरती कि तलाश
जिस चीज मे सबसे पहले खुबसूरती को अहमियत हो वह कई बार हमे समझाने कि कोशिश करती है खुबसूरती गलत चीज हर बार होती है और हम बस सुनते ही रहते है
अक्सर लोग कुछ अलग कहना चाहते है पर कुछ अलग कह देते है उन्हे चीज अपने पास ना होने का अफसोस होता है पर वह उसे बुरी कह कर जता लेते है
कमी तो उसे ना पाने कि होती है पर बुरी कह कर उसे मिटा देते है जब के वह हर बार वह चाहते रहते है दौलत हो या कोई भी चाहत हो जीवन कि बस यही कहानी होती है
जीवन मे हर चीज समज लेनी होती है क्योंकि हर चीज का दिखावा होता है और कुछ मन कि बात को समज लेना ही जीवन मे अहम होता है जो रोशनी जीवन को दे जाता है
जीवन मे आगे बढना हर बार जरुरी होता है पर उसे समज लेना सबसे अहम होता है जीवन मे हर चीज अहम तभी होती है जब उसकी चाहत अहम होती है
जीवन मे सही मोड अहम होते है जब हम सच कहते है पर लोग अक्सर अपनी कमी से डर कर झूठ बोलने लगते है पर उस झूठ से सिर्फ बढते हमारे फासले है
जो चीज हमे नही मिलती उसे हम अक्सर बूरी कहते है और उस सोच मे जीवन कि सबसे बडी गलती होती है वह चीज हमारी उस जिद्द से ही दूर होती है
क्योंकि खुबसूरती तो हर नजर मे कुछ अलग ही होती है हर किसी के लिए उस खुबसूरती का मतलब कुछ और ही हर बार होता है जो जीवन को उम्मीद दे जाता है
खुबसूरती ही तो जीवन को मतलब देती है जो जीवन को हर बार सुंदर बनाती है क्योंकि वह तो मन से महसूस कि जाती है जो उसे महसूस करे उसकी हमे अक्सर तलाश होती है
तो खुबसूरती और दौलत से नफरत करने से अच्छा है उसे परख लेना जिसकी हमे जरुरत होती है और उस खुबसूरती को चाहो तो हर बार हर मोड पर हमारे लिए अहम होती है

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