Wednesday 13 January 2016

कविता ४३६. कुदरत के हर रंग

                                                               कुदरत के हर रंग
कुदरत के हर चीज में अलग बात तो समज आती है कुदरत हर रंग में कुछ अलग ही सिखाती है पर सिर्फ कुदरत से हम समज नहीं पाते है क्योंकि हर बार उसे समज लेने की जरूरत पड़ती है
कुदरत हर मोड़ पर अलग बात सिखाती है पर वह मुश्किल से समज में आती है पर कुदरत को समज लेने के लिए जीवन में हर चीज को समज लेने की हर बार जरूरत पड़ती है
कुदरत को जीवन में परख लेने की अहमियत होती है जो जीवन को हर बार समज लेते है उसे समज लेने की हर बार जरूरत होती है कुदरत ही हमें अक्सर आगे ले जाती है
पर वही कुदरत बड़े मुश्किल से हमारे जीवन में समज आती है कुदरत को समज लेने की जीवन में हर बार जरूरत होती है कुदरत में ही जो बाते छुपी होती है उनकी कुदरत  को हर बार जरूरत होती है
कुदरत के अंदर हर बार कोई नई चमक होती है उसे समज लेने से आगे बढ़ जाने की हर मोड़ पर जरूरत होती है कुदरत तो जीवन को अलग अलग रंग दिखाती है
जिन्हे समज लेने की जीवन में हर मोड़ पर जरूरत होती है कुदरत को समज ले तो जीवन की शुरुआत नई होती है कुदरत के हर मोड़ पर जिन्दगी एहसास कुछ अलग ही देती है
कुदरत के अंदर हर सोच अलग एहसास देती है कुदरत तो जीवन को खुशियों की अलग सौगाद हर मौके पर देती है कुदरत में जीवन की चाबी छुपी रहती है
कुदरत ही जीवन की ताकद बन कर अलग एहसास दे रही है जिसे हम समज रहे है वह सोच जीवन की दिशा बदल रही है कुदरत ही हर मोड़ पर हमें समज रही है
कुदरत की हर ताकद को समज ले तो उस ताकद में दुनिया की कई खुशियाँ बसी हुई है जिसे परख लेते है तो दुनिया नये सीरे से बनती हुई दिखाई देती है
कुदरत को समज लेते है तो जिसके अंदर नई सोच बनती है वह ताकद हमे सिर्फ उम्मीदे देती है वह ताकद हर मोड़ पर हर बार जरुरी होती है
कुदरत ही हमारे जीवन की ताकद होती है जो जीवन को उम्मीदे और रोशनी हर बार देती है कुदरत  ही हर बार ताकद देती है 

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