Sunday 17 January 2016

कविता ४४४. सब के लिए बनी सोच

                                                            सब के लिए बनी सोच
हर बार हम सोचते है वही नहीं होता पर जो होता है उस से बेहतर कुछ नहीं होता है हम अपने सोच पर हर बार कुछ ज्यादा ही विश्वास रखते है
हर बार हम अपनी सोच अलग तरीके से समज लेते है सोच को परख लेने की कोशिश का हर बार कुछ नतीजा तो देती है पर हर बार वह मनचाहा नहीं होता है
सोच का असर जीवन को अलग एहसास तो देता है पर हम चाहे उसी कदम पर जिन्दगी नहीं मुड़ती है सोच को आगे ले जाने की हर बार जरूरत होती है
जीवन में सोच कई नतीजे देती है पर सोच की ताकद काफी नहीं होती हालात को समज लेने की भी हमारे जीवन में हर बार जरूरत होती है
जीवन को अलग अलग बाते समज लेनी जरुरी होती है जिन्हे परख लेने से जीवन की गाड़ी आगे बढ़ती है हमें हर बार जीवन में आगे जाने की जरूरत होती है
वह जरूरत ही जीवन को साँसे देती है पर जीवन में हर बार सिर्फ हमारी जरूरत सबकुछ नहीं होती कभी कभी दूसरे की जरूरत अहम नजर होती है
जो जीवन में परख ले अपने जरुरतों को उन्हें समज लेने की हर बार अहमियत होती है पर अपने जरूरत के लिए दूसरों को भुला देने की जीवन में जरूरत होती है
जीवन की अलग अलग बातों को समज लेने की ताकद हर बार जीवन को अलग दिशाए देती है जरूरत ही जीवन की अहम साँस होती है
जरूरत ही हर बार जीवन में अहम होती है पर उसे परख ने की भी कभी कभी जरूरत होती है क्योंकि जो सोच जीवन को अपनी जरूरत ही अहम बताती है
वह सोच हर बार जरुरी होती है जीवन को समज लेने की हर मोड़ पर अहमियत होती है जो जीवन को जिन्दा रखती है वह सोच सब की अहमियत समज लेती है 

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