Monday, 25 January 2016

कविता ४६०. आँखों में कही बाते

                                                               आँखों में कही बाते
जब लब्ज कुछ कहते है बाते जीवन में असर करती है जीवन की धारा दुनिया पर कुछ अलग मतलब दे जाती है क्योंकि लब्ज ही जीवन को नयी शुरुआत देते है
पर अफ़सोस तो उस बात का है की लब्ज कहाँ हमारे समझ में आते है लब्ज अक्सर तो हर मोड़ पर मतलब दे जाते है लब्ज ही जीवन को आगे ले जाते है
लब्ज ही जीवन की धारा बनकर आगे आते है लब्जों से ही सब कुछ हम समझ जाते है पर जाने क्यूँ अक्सर लब्ज जीवन में अधूरे नजर आते है
लब्जों के मतलब को परख लेते है तो वही लब्ज जीवन की उम्मीद बन जाते है लब्ज वह धारा है जिसे परख लेने पर हम जीवन में नई उम्मीद और रोशनी पाते है
लब्ज ही दुनिया की ताकद बन जाते है लब्ज तो जीवन की नई सोच होते है पर हर बार हर बात लब्ज नहीं रहते है जो जीवन पर अलग असर कर जाते है
कई बातें और कई किसम कि सोच का जीवन पर असर हो जाता है पर अक्सर दुनिया में बिना कहे ही कई बातें आगे ले जाती है जीवन को साँसे दे जाती है
लब्ज हर बार जरुरी होते है जो जीवन को मलतब हर मोड़ पर दे जाते है पर हर बात लब्जों के साथ समझ में नहीं आती है जीवन को आगे ले जाने की जरूरत मेहसूस होती है
पर हर बार वह लब्जों के साथ आगे नहीं जाती है दुनिया तो जीवन को मतलब हर बार देती है सिर्फ लब्ज समझ लेते है तो दुनिया उनके साथ आगे नहीं जाती है
दुनिया हर बार नई शुरुआत देती है वह बात जो असर कर जाती है वह सिर्फ निगाहे कहती है आँखों से वह बात कही जाती है कई बार मुँह से कही नहीं जाती है
आँखे तो जीवन को मकसद देती है वही आँखे जो अनकही बाते जीवन में कहती है वही तो जीवन को उम्मीदें दे जाती है जो जीवन में आगे अक्सर ले जाती है



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