Saturday 2 January 2016

कविता ४१४. हर चीज का समज लेना

                                हर चीज का समज लेना
हर चीज को समज लेना जरुरी होता है पर हमे वह फुरसत नही जिसमे दिल जरुरी चीज समज लेता है चीजों को बार बार परखे यह फुरसत हमे नही मिलती है
और चीजों को दुनिया जीवन मे समज लेने का मौका हमे देती है चीजों को समजना हमारी जरुरत है पर कभी चीज को समज लेने कि जीवन मे हमे कहाँ फुरसत होती है
चीज तो हमे नई बाते बताती रहती है चीज ही वह शुरुआत होती है जो हमे आगे ले जाती है पर उन्हे बिन समजे कहाँ जीवन कि गाडी आगे बढती है हर चीज अपने दिल को समझाती है
चीज जो जीवन को मकसद दे जाती है उस को कभी कभी बिन सोचे ही हम अपना बना लेते है चीज को बाद मे सोचना चाहते है जीवन को हर मोड पर हम परख लेना चाहते है
बेहतर तो यह हर बार होता है कि हम चीजों को जीवन मे समज लेते है धीरे से उन्हे आगे ले जाते है क्योंकि चीजे ही जीवन को हर बार मतलब देती है अहम होती है
पर जीवन कि तेज गाडी मे आगे चलते चलते लोग अक्सर यह गलती करते है बिना सोचे ही जीवन मे फैसले ले लेते है जो उन्हे परखना भुल जाते है वह अक्सर पछताते है
बडे किस्मतवाले होते जो जीवन मे दुसरा मौका पाते है बात तो बडी खुशी कि होती है पर दुसरी बार का मौका हर बार किंमत के बाद ही मिलता है उस किंमत को देना पडता है
पर हम तो सोचते है ऐसी बात हर बार जीवन मे करने कि जरुरत क्या होती है अगर चीज को समज लेते है तो ही जीवन मे खुशियाँ आती है जीवन मे हर चीज हर बार अहम होती है
चीजे ही तो जीवन का आधार होती है जिन्हे समज लेने कि जीवन मे जरुरत होती है चीजों को समज लो वही जीवन कि हर बार जरुरत होती है वही अहमियत होती है
चीज ही तो हमे आगे ले जाती है वही तो जीवन को आधार देती है क्योंकि चीजे ही तो जीवन मे अहम होती है जो चीज जीवन को मतलब हर बार दे जाती है चीज ही जीवन कि सोच होती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१२५. किनारों को अंदाजों की।

                              किनारों को अंदाजों की। किनारों को अंदाजों की समझ एहसास दिलाती है दास्तानों के संग आशाओं की मुस्कान अरमान जगाती...